नई दिल्ली । दो दिन के बाद चांद की जमीन पर चंद्रयान-3 घूमने वाला है। हालांकि इसके लिए सूर्योदय का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि साफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान को संचालित होने के लिए सौर्य ऊर्जा की आवश्यकता होगी, इसलिए सूर्योदय का इंतजार हो रहा है। बता दें कि चांद पर पहुंचने की रेस में भारत ने रूस को पीछे छोड़ दिया है। रूस का लूना-25 चंद्रमा पर क्रैश कर चुका है। हालांकि लूना-25 भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग से दो दिन पहले चांद की सतह पर उतरने वाला था। लेकिन रविवार को यह चांद से टकराकर क्रैश हो गया। अब पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर टिकी हुई है। बता दें कि चंद्रयान-3 इस समय चांद से 25 किमी की दूरी पर चक्कर लगा रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि लैंडर माड्यूल सॉफ्ट लैंडिंग से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा। इसके बाद यह लैंडिंग साइट पर सूरज के निकलने का इंतजार करेगा। मालूम हो कि लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं। रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम की गोद में बैठकर चांद की करीबी कक्षा में चक्कर लगा रहा है। 17 अगस्त को चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल विक्रम खुद ही आगे बढ़ रहा है। अब चांद से इसकी दूरी महज 25 किमी रह गई है। बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को चांद की सतह पर पहले 23 अगस्त को 5 बजकर 47 मिनट पर उतरने की उम्मीद थी लेकिन अब इसरो ने समय में बदलाव किया है।
इसरो के अनुसार 23 अगस्त से मून पर लूनर डे की शुरुआत होगी। चांद पर एक लूनर दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इन 14 दिनों तक चांद पर लगातार सूरज की रोशनी रहती है। चंद्रयान-3 में जो उपकरण लगे हैं उनकी लाइफ एक लूनर दिन की है। क्योंकि ये सौर्य उर्जा से संचालित होते हैं। इसलिए इन्हें संचालित करने में सूरज की रोशनी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। किसी कारण वे इस दिन लैंडिंग में सफलता हासिल नहीं हो पाती है तो फिर इसे लैंड करने के लिए अगले दिन अर्थात प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पूरे महीने का इंतजार करना होगा।