-9 सांसद भी हैं दूसरी पार्टियों के संपर्क में
लखनऊ,(ईएमएस)। बहुजन समाज पार्टी से सांसद रितेश पांडे ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे कर एक तरह से मायावती को लोकसभा चुनाव से पहले ही बड़ा झटका दे दिया है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा तो यह भी आम हो चली है कि रितेश ने तो भाजपा का दामन थाम लिया है वहीं बसपा के 10 में से 9 सांसद अन्य पार्टियों के संपर्क में हैं। इन 9 बसपा सांसदों में से 5 भाजपा, 2 कांग्रेस और 2 सपा के संपर्क में बने हुए हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के पूर्व बहुजन समाज पार्टी को लगा झटका बतलाता है कि आगे भी इस तरह के और सदमें मायावती को बर्दाश्त करने होंगे। दरअसल बसपा सांसद रितेश पांडे जहां पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर मायावती को झटका दे चुके हैं वहीं बसपा के 10 में से 9 सांसद भी अपना अलग रास्ता अख्तियार करने का मन बना चुके हैं। अंबेडकरनगर से बसपा सांसद रितेश पांडे ने बसपा से इस्तीफा दिया तो कयास लगाए जाने लगे थे कि वे जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। वहीं खबर उनके भाजपा में शामिल हो जाने की भी है। रितेश का आरोप है कि बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें मिलने का समय नहीं दे रहीं इसलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश समेत देश में यह चर्चा होने लगी है कि बहुजन समाज पार्टी के सांसद ही नहीं बल्कि पार्टी के कद्दावर नेता भी अब एक अलग राह की तलाश में हैं। ईएमएस न्यूज एजेंसी के सूत्रों की मानें तो पार्टी के 9 सांसदों जो बाहर जाने की वाट जोह रहे हैं उनमें से 5 सांसद तो भाजपा के संपर्क में आ गए हैं, जबकि 2 सांसद कांग्रेस के संपर्क में हैं और 2 समाजवादी पार्टी के संपर्क बताए गए हैं। यदि यह सच है तो फिर बसपा को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक और बड़ा झटका लग सकता है। यही नहीं बसपा सांसद अफजल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर पहले ही मायावती की मुसीबतें बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि
बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर, लालगंज सांसद संगीता आजाद पिछलें कुछ समय से भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। यही नहीं बल्कि लोग तो यह भी कह रहे हैं कि श्रावस्ती से बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा तो भाजपा नेताओं से मुलाकात तक चुके हैं। सूत्रों की मानें तो बसपा के अमरोहा सांसद दानिश अली पिछले कुछ समय से कांग्रेस के संपर्क में हैं। इस प्रकार की खबरें यदि सच साबित होती हैं तो लोकसभा चुनाव से पहले वाकई मायावती को बड़ा झटका लगने वाला है, जिसकी भरपाई करना भी मुश्किल से मुश्किलतर होगा।