नई दिल्ली । इस्लामाबाद में 15-16 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे में देश दुनिया के तमाम लोगोँ के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या इस बैठक से भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुई कड़वाहट दूर होगी। वजह ये है कि 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान से भारत के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे। तब से कुछ गिने चुने मौके को छोड़ दें तो भारतीय नेताओं ने पाकिस्तान जाने से परहेज ही किया है।
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है। तब से कुछ गिने चुने मौके ही आए, जब कोई भारतीय नेता पाकिस्तान गया हो। आखिरी बार साल 2016 में राजनाथ सिंह बतौर गृह मंत्री सार्क की बैठक के लिए पाकिस्तान गए थे, तब से कोई भी भारतीय राजनेता पाकिस्तान के दौरे पर नहीं गया है। इससे पहले दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रूस यात्रा से लौटते वक्त अफगानिस्तान और पाकिस्तान गए थे। 2015 में दिसंबर में ही तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने इस्लामाबाद पहुंची थीं। इसके बाद उरी, पुलवामा, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और तमाम आतंकी मुद्दों और सीमा पर तनाव के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ठप पड़े हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विदेश मंत्री की इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में कोई सुधार आएगा? या 2023 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के महज़ एक दिन बाद से ही जैसे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी, वैसे ही इस बार भी यह मीटिंग महज एक बहुपक्षीय मीटिंग रह जाएगी। या दोनों देशों के रिश्तें में कोई सुधार आएगा? हालांकि रणधीर जायसवाल से जब प्रेस कांफ्रेस में इस विषय पर पूछा गया तो उनका जवाब था, ये दौरा एससीओ मीटिंग के लिए है, इससे ज़्यादा इसके बारे में न सोचें।