सीएम राइज स्कूल का नाम बदलने पर कांग्रेस का कटाक्ष…सरकार को नाम बदलने से ज्यादा अपने सरकारी काम सुधारने की जरूरत है – कांग्रेस

इन्दौर भाजपा की पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. मोहन यादव न जाने कौन-सी राजनीतिक उपेक्षा का बदला लेते हुए, शिवराज चौहान के बतौर मुख्यमंत्री लिए गए फैसले बदलने पर आमादा हैं। शिवराज सरकार के बनाए सीएम राइज का नाम अब सांदीपनि विद्यालय कर दिया है तर्क दिया जा रहा है कि यह सी एम राईस जैसा नाम अंग्रेजों के जमाने का लगता है, इसलिए बदलकर ऋषि के नाम किया गया है।
पता नहीं भाजपा सरकार का डबल इंजन कौन-सी पटरियों पर दौड़ रहा है ? कौन ज्ञान दे रहा है? कौन नियम बना रहा है? कौन लागू कर रहा है? लेकिन इतना तय है शिक्षा योजनाओं में करप्शन कल्चर खूब पढ़ाया जा रहा है। प्रदेश में नाम बदलने का ट्रेंड चल रहा है,पहले शहर, फिर योजना अब स्कूल का वहीं बीजेपी इस तरह के नवाचार के नाम पर अपने शासन की नाकामी छुपाने मे लगी है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने कहा कि सरकार को नाम बदलने की बजाय अपने स्कूलों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा अधोगति को प्राप्त हो चुकी है। देश में 14 और 15 पर मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा का नंबर आता है। मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा पर 7 साल में सरकार ने 80% खर्च बढ़ा दिया इसके बावजूद स्कूल बुनियादी सुविधा से जूझ रहे हैं। हालत ये हैं कि प्रदेश के 3 हज़ार 620 स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है। स्कूलों में 12 लाख से अधिक बच्चे घट गए आज भी 13,198 स्कूल सिर्फ 01 शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं यदि मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्रालय के UDISE की जनवरी 2025 में जारी रिपोर्ट ही पढ़ लेंगे, तो नाम की बजाय काम पर ध्यान देंगे। केंद्र सरकार की रिपोर्ट चीख रही है, 10 हजार 702 स्कूलों में बच्चियों के लिए बनाए गए टॉयलेट किसी के काम के नहीं हैं! 7 हजार 966 स्कूलों में हैंडवॉश की सुविधा नहीं है 7 हज़ार 422 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय पर तीखा प्रहार करते हुए कहा की घोटाले-घपले मे घीरे शिक्षा विभाग में संदीपनी ऋषि जैसे पवित्र नाम का उपयोग न करें। जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। जहां की गुणवत्ता उस समय विश्व स्तरीय थी। पूरी दुनिया से लोग वहां पढ़ने आते थे। उनके नाम को बदनाम न करें शासकीय स्कूलों की हालत सुधारें वहां पर योग्य शिक्षकों की भर्ती करें, व्यवस्थाएं करें।
प्रदेश प्रवक्ता अमित चौरसिया ने कहा की सरकार ने रोजगार मांग रहे युवाओं के जख्मो पर गर्म नमक लगाते हुए बेरोजगारों को “आकांक्षी” नाम दिया अब मोहन सरकार ने शिवराज सरकार में जारी सीएम राइज स्कूल योजना का नाम बदलकर ‘सांदीपनि’ रख दिया है। क्या ये बदलाव शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए है या सिर्फ नाम बदलकर दिखावे की राजनीति को चमकाने और नया रंग बनाने के लिए है ? जब शिक्षा के असली मुद्दों पर काम करने की जरूरत थी, तब सरकार ने नाम बदलने की दिशा में कदम उठाया। जनता अब मूर्ख नहीं है, ये सब नाम बदलने की सस्ती राजनीति है।
कांग्रेस ने भाजपा सरकार को नसीहत देते हुए कहा की सरकार को नाम बदलने से ज्यादा अपने सरकारी काम सुधारने की जरूरत है।