93 वर्ष की उम्र में भी सिख रहे हैं उर्दू भाषा

सीनियर एडवोकेट एवं क्रांतिकारी विचारक माथुर से भेंट इतिहास से गुजरने जैसा

इंदौर  सीनियर एडवोकेट, समाजसेवी और पूर्व महाधिवक्ता श्री आनंद मोहन माथुर से मिलना एक इतिहास के गुजरने जैसा है। वे नब्बे पार हैं, लेकिन इस उम्र में भी वे कोर्ट जाते हैं, जज के सामने बहस करते हैं और सुबह-शाम अपने आफिस में बैठकर अगले दिन की तैयारी करते हैं। उनके पास काम की कोई कमी नहीं है। टेबल हमेशा फाइल से भरी रहती है और अलमारियों में इतनी किताबें हैं कि कोई कौना खाली नहीं है। उन्हें पढऩे का भी बेहद शौक है, इसीलिए एक बड़ी रैक में राजनीति, कला, संगीत आदि विषयों पर हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, बंगाली गुजराती, पंजाबी, (गुरुमुखी) आदि भाषाओं में लिखी हुई ढेरों किताबें हैं। वे 7-8 जबान जानते हैं इसलिए उनका साहित्य संस्कार भी विशाल है। इन दिनों वे उर्दू जबान बोलना एवं लिखना सीख रहे हैं और वह भी एक जानकार उस्ताद से। कहते हैं – सीखने की भला कोई उम्र होती है और उम्र क्या केवल अंकों का खेल है। जब तक इंसान में उत्साह है, सीखने की ललक है और उसकी सोच सकारात्मक है तो वह मनचाही चीजें पा सकता है।

श्री माथुर के व्यक्तित्व का एक बड़ा आयाम उनकी समाजसेवा। वे ऐसे समाजसेवी हैं, जो समाज को सेवा के केवल तन और मन से ही नहीं धन से भी करते हैं। वे दोनों हाथों से लुटाते हैं। इंदौर में चारों कौने पे उनके सेवाकार्य देखे जा सकते हैं। विजय नगर क्षेत्र में एक बड़ा सा सुंदर सभागृह है, जिसमें एक हजार लोग आराम से बैठ सकते हैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस सभागृह में वर्ष भर कार्यक्रम होते हैं। कृष्णपुरा ब्रिज पर उन्होंने झूला पुल बनाया, तो एमवाय हास्पिटल में एक नया स्वास्थ्य केंद्र बनाया। साथ ही पत्नी कुंती माथुर के नाम से एक सभागृह व रामबाग मुक्तिधाम पर श्रद्धांजलि सभागृह और पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के लिए सीपीईआरडी केंद्र शुरू किया। इसके अलावा छोटे -बड़े केंद्र भी हैं और सभी का उल्लेख करना संभव नहीं। अपनी 70 वर्ष की वकालत में उन्होंने जो पूंजी कमाई उसे दान कर दी।

श्री माथुर कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट से जुड़े हैं तो अभ्यास मंडल जैसी सामाजिक संस्था से। कायस्थ समाज से लेकर कई समाज संस्थाओं में उनका सम्मान हैं। वे अच्छे लेखक, श्रेष्ठ वक्ता, क्रांतिकारी विचारक होने के साथ मिलनसार व्यक्ति हैं। दो वर्ष पहले ही उन्होंने शहीद भगतसिंह ब्रिगेड के नाम से एक संस्था बनाई, जिसकी शाखाएंॅ कई जगह है। दूसरा मकसद समाज से जातिवाद एवं संकीर्णता को समाप्त करना और युवाओं में जोश भरना। इस संस्था से हजारों युवा जुड़े हैं, जो भगतसिंह के विचार दर्शन को जन-जन में फैला रहे हैं।

श्री माथुर की एक और विशेषता है और वह बहुजन समाज की भलाई के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करना। दूसरा मकसद वंचित वर्ग को न्याय दिलाना और सरकार की मनमानी पर अंकुश लगाना। वे कहते हैं जब सरकार ही निरंकुश हो जाए और जनता के मूलभूत अधिकारों का हनन होने लगे तो सबसे बड़ा हथियार जनहित याचिका है। इस हथियार से व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है  और गरीबों को न्याय दिलाया जा सकता है।

वे बताते हैं गरीबों के लिए न्याय हमेशा से महंगा रहा। वे जानते तो हैं कि सरकार की नीतियों से उनकों सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नुकसान हो रहा है, लेकिन वे कुछ कर नहीं पाते। जनहित याचिका की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कोई भी शख्स हाईकोर्ट में दायर कर सकता है, बशर्ते उसका उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ नहीं होकर बहुजन हिताय हो।

इंदौर में स्मार्ट सिटी की आड़ में तोडफ़ोड़ हो या सड़क चौड़ी करने के नाम पर गरीबों के झोपड़ों पर बुलडोजर चलाने का मामला हो। ऐसे सभी मामलों पर श्री माथुर ने जनहित याचिका दायर की है। भाजपा सरकार ने कई सड़क, चौराहे और केंद्र के नाम अपने नेताओं के नाम पर रख दिए हैं। उनमें भी विरोध में जनहित याचिका श्री माथुर ने हाइकोर्ट में दायर की है।