(बीना) कम से कम समय में करें अच्छे से अच्छा कार्य : आचार्यश्री विद्यासागर

बीना (ईएमएस)। खिमलासा में अल्प प्रवास को आए आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने विहार की पूर्व बेला में ’राष्ट्रव्यापी‘ प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि व्यक्ति चाहे तो अल्प समय में ही बहुत कुछ पा सकता है, कम से कम समय में अच्छे से अच्छा कार्य करने वाला व्यक्ति महान होता है, फिर चाहे वह लौकिक कार्य हो या पारलौकिक।
आचार्य श्री ने कहा कि जिसका पुण्य प्रबल होता है उसी को संतों का सत्संग एवं सानिध्य प्राप्त होता है। उन्होंने संकेतों-संकोतों में ही कहा कि हम सभी एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठे हैं, फल भी वृक्ष में लगे हैं, सभी उसको प्राप्त करने का भी प्रयास कर रहे हैं। कुछ व्यक्ति फलों को पत्थर मार कर गिराना चाहते हैं, परन्तु पत्थर भी फल में न लगकर पड़ोसी के यहां गिर रहे हैं, देखो किसको फल की प्राप्ति होती है।
आचार्यश्री ने कहा कि अहिंसा को धर्म को अब नारों या जयघोषों तक ही सीमित नहीं रखना है, उसके जयघोष को प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में पहुँचाना है, तब ही भारत में पशुवध जैसा कृत्य रूक पायेगा। हिंसा रूपी वृक्ष तूफान के आने पर उखड़ जाते हैं, लेकिन अहिंसा रूपी वृक्ष की जड़ें इतनी मजबूत होती हैं कि उसकी जड़ों को बड़े-बड़े तूफान भी आ जाये ंतो भी उखाड़ नहीं सकते। आज दस अहिंसा वृक्ष की सुरक्षा की आवश्यकता है। जहां पर अहिंसा धर्म हैं, वहां पर सब कुछ है। अहिंसा के अभाव में अशान्ति एवं कलह का वातावरण बनता है। जैसे चंदन को जितना घिसते हैं उतना ही महकता है वैसे अहिंसा धर्म जितना-जितना आचरण में आता जाता है, वैसे-वैसे सुख-शान्ति का वातावरण बनता जाता है।
आचार्यश्री ने कहा कि अहिंसा धर्म के लिए आन्दोलन की नहीं अपने हृदय में एक क्रांति लाने की आवश्यकता है, क्योंकि भीतर की क्रांति से ही हिंसा का विरोध हो सकता है। भारतीय संस्कृति में कर्त्तव्य को महत्व दिया जाता है, करतब को महत्व नहीं दिया जाता है। अहिंसा की रक्षा पैसे के बल पर नहीं अहिंसा को अपनाकर ही की जा सकती है। यदि अहिंसा धर्म की रक्षा के लिए हमें अपनी आहुति भी देना पड़े तो भी कोई बात नहीं है। भारत का इतिहास अहिंसा और करूणा की कविता है, उसमें हिंसा, कत्ल, क्रूरता की कोई जगह नहीं है। अहिंसा हमारे लिए एक देवता है। इस देवता के लिए हमारा सारा जीवन समर्पित होना चाहिए, यदि इस अहिंसा की रक्षा के लिये अपने जीवन का बलिदान भी देना पड़े तो सदा तैया रहना चाहिए। आचार्यश्री की प्रवचन सभा का संचालन ब्रम्हचारी सुनील भैया इंदौर, ब्रम्हचारी नितिन भैया एवं सहयोग संकलन अशोक ’शाकाहार‘ ने किया।
– आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का हुआ विहार
35 वर्ष का सूखा हुआ समाप्त
अल्प प्रवास पर खिमलासा में आए आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ मुनिद्वय का विहार खुरई की ओर हो गया। लगभग 35 वर्ष के सूखा को समाप्त करने का खुरई नगर के समस्त धर्मों के अनुयायीओं को यह स्वर्णिम अवसर प्राप्त हो रहा है। आचर्यश्री का विहार दोपहर 1:30 बजे खिमलासा से हुआ, विहार कराने वालों में संपूर्ण राष्ट्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ ही खुरई नगर के जेवायएसएस के समस्त पदाधिकारी, नाइनटी केजी ग्रुप के समस्त कार्यकर्त्ता, ईशुरवारा अतिशय क्षेत्र, भाग्योदय तीर्थ, कुण्डलपुर समिति, खिमलासा के समस्त नगर वासी शामिल हैं। अशोक ’शाकाहार‘ ने बताया कि आचार्यश्री के संघ की खुरई नगर में भव्य अगवानी आज 20 दिसम्बर गुरूवार को प्रात: होने की संभावना है।
सिद्धचक्र महामंडल विधान के द्वितीय दिवस पर
– 16 अर्घ किए जायेंगे समर्पित
अशोक ’शाकाहार‘ ने बताया कि खिमलासा में अष्ट दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान के प्रथम दिवस बुधवार को आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य एवं ब्रम्हचारी संजीव भैया कटंगी, ब्रम्हचारी अंकित भैया धनेटा, ब्रम्हचारी दिलीप भैया दमोह के मार्गदर्शन में सिद्ध भगवंतों को 8 अर्घ समर्पित किए गए। आज 19 दिसम्बर गुरूवार को 16 अर्घ समर्पित किये जायेगें।
…/राजेश/3.15/ 19 ‎दिसंबर 2018