मरीज बनकर जिला अस्पताल में आराम फरमाते हैं रेहड़ी पटरी वाले

जिला अस्पताल का स्टाफ इन दिनों चोरों और रेहड़ी पटरी वालों से परेशान है। दरअसल रेहड़ी पटरी वाले मरीज बनकर खाली पड़े बेडों पर आकर सो जाते हैं। इनकी वजह से अस्पताल प्रशासन को मरीजों के वार्ड खाली करते ही ताला लगाना पड़ रहा है। अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है। स्टाफ ने कहा कि महिला वार्ड हमेशा भरा रहता है। इस वजह से बाहर से आकर कोई बेड पर लेट नहीं पाता है। लेकिन मेडिसिन वार्ड में बाहर से रेहड़ी वाले या आसपास के लोग लेट जाते हैं। इस वजह से ताला लगाना पड़ रहा है। बाहरी लोगों का अस्पताल में आराम फरमाने के पीछे कारण यह भी है कि वार्ड में ठंड नहीं लगती है। समय पर खाना भी मुफ्त में मिल जाता है। मेडिसिन वार्ड में भर्ती मरीजों का आंकड़ा कम हो गया है। आसपास के लोग मौका पाकर मरीजों के खाली बेड पर आकर सो जाते हैं। ऐसे में जब स्टाफ आता है तो लगता है कि मरीज सोया हुआ है। फाइल चेक करने पर पता चलता है कि यह मरीज नहीं बल्कि बाहरी हैं। ऐसे में अचानक से कोई मरीज आ जाए तो परेशानी हो सकती है। मरीज बनकर आने वाले बाहरी लोग बेड के नीचे लगे पहिये और बाथरूम से टोटियां व बल्ब चुराकर ले जाते हैं। मेडिसिन वार्ड के स्टाफ का कहना है कि मजबूरी में उन्हें वार्ड बंद करना पड़ रहा है। अस्पताल में ऐसे कई मरीज आते हैं जो भर्ती होने के बाद ठीक होने पर भी डिस्चार्ज नहीं होना चाहते हैं। डिस्चार्ज करने पर लड़ाई शुरू कर देते हैं। यह कई बार हंगामा कर चुके हैं। सीएमएस डॉक्टर अजेय अग्रवाल का कहना है कि मेडिसिन वार्ड में मरीजों की संख्या बहुत कम हो गई है। इस वजह से बाहर से बंद किए हो सकते हैं। इस बात की जानकारी नहीं है कि वार्ड में ताले लगाए हैं।