बनवाँ में बड़ा दुख होई     . 

(राम द्वारा सीता को समझना)  बनवाँ में बड़ा दुख होई,  सिया मोर घरहीं में रहिजा हो…

कब आओगे राम       . 

मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी,  कब आओगे राम ।  काम क्रोध मद लोभ के वश…

शाबाशियाँ 

( स्त्री विमर्श )  बालियाँ तेरे हर किरदार को,  शाबाशियाँ तेरे अस्तित्व को,  शाबाशियाँ बेटी, बहन,बहू,पत्नी,माँ …

हे ! युगदृष्टा

हाड़ -मांस से हीन वह पुतला आज भी  ब्रह्मांड की असीम गहराइयों में समाकर  आज भी …

शुभागमन गणराज!!

★आशुतोष के लाड़ले, मां गौरी के लाल। कार्तिकेय के हो अनुज, मंगलमूर्ति विशाल।। ★सिद्ध करो संकल्प…

चांद और ग़रीब

ग़रीब को  चांद – रोटी – सा दिखता है । कभी  भूख़ – सा  यह  बढ़ता…

आओं हिन्दी के अस्तित्व के लिए

ईश्वर से  प्रार्थना करें आज हिन्दी दिवस है अपने ही देश में अपनी ही भाषा का…

ग़ज़ल

कुछ खेत दिखे गांव का घर याद आ गया मिट्टी के रास्तों का सफ़र याद आ…

तड़फती रूहों का दर्द

———- आज़ादी क्या है  आओ आजाद    देश की महिलाओं की   स्थिति को छोटे से  आइने की…

जो पूछ रहे हैं राम कौन और राम कहाँ?

◆ अँधियारे के अभ्यस्तों को, उजियारा दर्पण  दिखलाएं। जो पूछ रहे हैं राम कौन? जो पूछ…