बफादार संतति होगी यह संस्कृति हमारी थी
सतयुगी सनातनी व्यवस्था कितनी प्यारी थी
आचार विचार की मर्यादा क्यों भूले हम आज
क्या घर के ही मुखिया की हत्या की तैयारी थी
मुगलों ने मारा चुन चुन संस्कृति के उपासकों को
फिर भी बच गया धर्म, धन्य हो सत्य सनातन को
आज अरु तत्क्षण है मानवता का आवाहन
ऋषि पुत्र पर हुआ प्रहार ,आवाहन अवगाहन को
देश नहीं प्रदेश नहीं सीमाओं में वह बंधा नहीं
वह है सार्वभौम मूरत जिसमें कोई संदेह नहीं
आतताई प्रदर्शन, कभी क्षम्य नहीं,स्वीकार नहीं
असहनीय कृत्य तुम्हारे, ये देशद्रोह बर्दाश्त नहीं
षणयंत्र विफल दोहराने की आशंका है मन में
आस्तीन के सांपों को कुचलो उनके ही घर मे
कुलद्रोही मन हर्षित हैं पर फिर भी हैं सहमे सहमे
षडयंत्र सफल ना कर पाए इसीलिए गहमे गहमे
हे देशबंधु अब देर न कर जस का तस भुगतान करो
जो थी उनकी मन मुराद ,उसे उसी विधा में पूर्ण करो
हो रही हंसाई जगभर में ये कैसा शांति दूत भारत
रक्षक हुआ आज आहत माँ के बटवारे का ध्यान करो
मान प्रतिष्ठा का सवाल निर्वाह हमें ही करना है
स्वाभिमान के संविधान की रक्षा हमको करना है
नहीं रुकें अब कदम बढ़े, हम है बलिदानी पथ पर
जो आए राष्ट्र-द्रोही बनकरउनको सबक सिखाना है
ये बड़े खिलाड़ी नरभक्षक ,हैं बने पड़ोसी संरक्षक
उठ खड़ो राष्ट्रप्रेमी योद्धा ,शिक्षक कृषक राष्ट्र सेवक
सहन न सकेंगे देश द्रोह लो कसम आज भारत माँ की
पंचआब को आंच न आए तनमन अर्पित तुमको नायक
बच्चूलाल दीक्षित
दबोहा भिण्ड/ग्वालियर