म्हारे है मालम निश्चित एक दन तो अंत आपणों,
फिर भी म्हने देख्यो ,आसमान छुणे को सपणो
नाम को एक डोरों होवे है आकाश में म्हारा साथे,
उको भी निश्चित है एक दन तो म्हारा से कटणो
कागज ,खिपची, और जोता की पतली सी डोर,
म्हारो तो है दादा इज सगला कीमती गहणो ,
हु जद उड़ती रव तो सगला देखे उपर म्हारे
जसेज कटू डोरी से सब चावे म्हारे लुटणो
म्हारो अस्तित्व होवे सिर्फआसमान में दादा ,
कटी के पड़ते ज होवे है लुटनो खसोटणो
रंगीली हु दादा लाल पिली काली नीली,
हुई जावु बेरंग ज दे पड़े जमी पे गिरणो
हुचका से डोर जद तक म्हारी बंधी रेवे
आखा आसमान पे होवे है राज अपणो
जैसे ज कटे है डोर म्हारी हुचका से पडु
म्हारे लुटने वाला से मुश्किल है बचणो
सच है निश्चित है एक दन अंत आपणों |
फिर भी हर संक्रात पे आई जावु हु
रिश्तो नाना नानी निभई जाव हु ,
तम भी सीखी लो म्हारी सच्चाई से
उड़ो सब पर जुड्या रो धरती माई से |
राजेश भंडारी “बाबू”