समय का दूत मुझसे बहुत कुछ कह गया
हंसते-हंसते मैं सब कुछ सह गया….
वक्त का परिदा आज भी मौन रह गया
कैसे पता! मेरा अपना कौन रह गया
समय-समय की बात है….
आखिर, बचा कोई ना मेरे साथ है
रंगखुशी का हाथों से उड़ गया
मगर याद में दागों को छोड़ गया
समय की नदी पर कोई पुल नहीं होता
नए पत्तों पर जमा ,
कभी धूल नहीं होता
चिंता करने में समय बर्बाद है
चिंतन से कहते इसे आबाद है…..
कल रात कोई सपने में इलाज दे गया
ख्वाहिशों के जख्मों को वह साथ ले गया
समय का दूत मुझसे
बहुत कुछ कह गया…
यादों के समंदर में ,
मैं यूं ही बह गया
:- पलक श्रेया
Jnv, begusarai