मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर,
राजा बख्तावर वो मेरा वीर बख्तावर !
पुरे मालवा की पहचान है मेरा राजा बख्तावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
जन्म लिया शुभ दिन को वो था 14 दिसम्बर,
पिता जिनके राव अजीतसिंह माता रानी इंद्रकुँवर !
रच डाला इतिहास जिसने ऐसा था वो वीरतावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
बजा बिगुल गद्दर का सन 1857 में,
डर के भागी अंग्रेजी सेना राजा के वारो से !
समर भूमि में कूद गया ऐसा था वो वीरतावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
चपा-चपा मालवा का जिसने हिला डाला था,
पल भर में फिरंगियों को जिसने भगा डाला था !
ओ ऐसा था भारत माँ का लाल मेरा वीर बख्तावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
धूम मचा रही थी सेना ऐसी थी ताकतवर,
उस सेना में एक सैनिक निकला गद्दावर !
रचा षडयंत्र जिसके खिलाफ कौन था वो वीरतावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
बईमानी धोखाधड़ी से मेरा राजा पकड़ा गया,
राजा को फाँसी पर चढ़ाने का आर्डर आ गया !
टुटा फांसी का फंदा दो बार ऐसा था वीरतावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
बड़ा मायूस दिन बनकर आया था 10 फरवरी,
फांसी का फंदा राजा ने चुम लिया कैसी थी वो दुःख की घड़ी !
नमन करता “आशीष” सौं बार जिसको ऐसा था वो वीरतावर,
मेरे अमझेरा की शान है मेरा राजा बख्तावर !!
आशीष प्रवीण माथुर (पंचोली)
अमझेरा धार मध्यप्रदेश