##############
बादलों के पार खोज रही है सोनचिरैया…..
मुझको छोड़ अकेली इस धरा पर,
जाने कहाँ गुम हो गई है मेरी मैय्या।
जमाने की बुरी निगाहों से बचने को,
मैने ढँक लिया है अपना बदन मैय्या।
बादलों के पार खोज रही है सोनचिरैया…..
बचपन अपना भूल चुकी हूँ,
बिन तेरे सब सूना लगता है मैय्या।
ना ही मेरी कोई सखी सहेली
सपने में ही एक बार आ जाओ मैय्या।
बादलों के पार खोज रही है सोनचिरैया…..
बाल वधू का कर श्रंगार
अपलक निहार रही है बिटिया।
बचपन में ही जीने की जिद पर
अड़ी हुई है मेरी प्यारी सोनचिरैया।।
बादलों के पार खोज रही है सोनचिरैया…..
संजय उज्जैनी