कल्पना और अहंकार से बाहर आईए और अपने वर्तमान को देखिए : मुनि प्रमाण सागर –

:: मुनि प्रमाण सागर ने कहा मैं आप सभी के दुखों का निवारण करने इन्दौर आया हूं, शंका समाधान के 10 वर्ष पूर्ण होने पर उत्साह भी मनाया ::
:: मुनिश्री के सान्निध्य में शंका समाधान की प्रति कीर्ति का विमोचन भी किया गया ::
इन्दौर । संसार में है कोई प्राणी, जिसे कोई दु:ख न हो? आज में आप लोगों को प्रवचन देने नहीं बल्कि आप सभी के दु:खों का निवारण करने आया हूं।
उपरोक्त उद्गार मुनि प्रमाण सागर महाराज ने मोहता भवन रेसकोर्स रोड़ पर रविवारीय धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने चार प्रकार के दु:खों की बात करते हुए कहा कि कल्पना जन्य, वियोगजन्य, अभावजन्य तथा परिस्थिति जन्य, इसके अलावा संसार में कोई दु:ख है ही नहीं। कोई अपनी कल्पना में अपने आप को समाज का सर्वश्रेष्ठ मानता है, मैं समाज का अध्यक्ष हूं। मैं समाज का सबसे अधिक प्रतिष्ठित व्यक्ती हूं, मैं सबसे अधिक दान देता हूं, मैं सबसे अधिक ज्ञानी हूं, मैं सबसे बड़ा त्यागी हुं और वह इसी अहंकार की पुष्टि करता रहता है और इसकी प्रतिष्ठा को मेनटेन करने में ही अपने जीवन को प्रतिपल लगा देता है, और जब इस कल्पना को थोड़ी सी भी ठेस लगती है तो वह दु:खी हो जाता है। कुछ लोग तो अतीत की स्मृति में ही दु:खी रहते है। वही कुछ लोग भविष्य की चिंता में ही अपने आपको दु:खी करते रहते है। मुनिश्री ने कहा इस कल्पना और अहंकार से बाहर आइए और अपने वर्तमान को देखिए। दूसरा दु:ख है वियोग जन्य दु:ख। मुनिश्री ने कहा कि संसार में कोई अजर अमर नहीं। राजा राणा छत्रपति हाथिन के असवार मरना सब को एक दिन अपनी-अपनी बार। जहां संयोग है वहां वियोग है। इसे वियोग को कर्म जन्य मानिए, तीसरा दु:ख है अभावजन्य दु:ख। जिनके पास सब कुछ है, क्या वह सुखी है? जाकर पूछ लेना उनसे की वह कितने सुखी है। जो अभाव में भी सद्भाव देख लेता है वह कभी दु:खी नहीं रहता। गरीबी में भी अमीरी उनके पास रहती है। जो अपनी मनस्थिति को बदल लेते है।
धर्म प्रभावना समिति एवं प्रचार प्रमुख राहुल जैन एवं अविनाश जैन ने बताया कि रविवार को गुणायतन के मालवा प्रांत का अधिवेशन भी संपन्न हुआ। विनोद काला अध्यक्ष एवं कार्याध्यक्ष एन सी जैन ने गुणायतन की रुप रेखा रखी एवं गुणायतन की कार्य योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि गुणायतन के पूरे भारत में 18 हजार सदस्य हैं। संपूर्ण भारत में यह सर्वाधिक सदस्यों वाला यह प्रथम संगठन है। तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी की तलहटी में निर्माणाधीन गुणायतन एक ऐसा उपक्रम है। जिसके माध्यम से पोथियों की बातों को पल में जाना जा सके। मुनिश्री प्रमाण सागर के द्वारा प्रस्तुति आत्मा के क्रमिक विकास के सोपानों को साकार करने का अद्भुत प्रयास है। गुणायतन मुनिश्री प्रमाण सागर के प्रोण चिंतन और परिपक्व परिकल्पना का जीवंत प्रमाण है। रविवार को गुणायतन के समस्त पदाधिकारी ट्रस्टी एवं उसे जुड़े हुए सदस्यों की बैठक संपन्न हुई। जिसमें गुणायतन से जुड़े सभी नवीन सदस्यों का अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। मुनिसंघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। गुणायतन द्वारा सेवा प्रकल्प के रूप में कई कार्यक्रम किए जा रहे है। इस अवसर गुणायतन के राष्ट्रीय पदाधिकारी उपस्थित थे। सभी का सम्मान धर्मप्रभावना समिति द्वारा किया गया एवं विश्व का लोकप्रिय कार्यक्रम शंका समाधान के दस वर्ष पूर्ण होंने पर दो घंटे का अद्भुत शंका समाधान कार्यक्रम पारस चैनल के द्वारा संपन्न हुआ एवं सभी डायरेक्टरों का बहुमान भी इस अवसर पर हुआ। रविवार को कार्यक्रम में सुभाष जैन, एन.एल जैन, सुनील बिलाला, मनोज-अनामिका बाकलीवाल, दिलीप गोधा, भरद मोदी, रितेश पाटनी, विशाल जैन, पवन सिंघई, उज्जवल जैन सहित बड़ी संख्या में समग्र दिगंबर जैन समाज बंधु मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन बाल ब्रह्मचारी अभय भैया एवं अशोक भैया ने किया।
:: शिक्षा के क्षेत्र में हमें बहुत कार्य करना है : मुनि प्रमाण सागर
मुनि प्रमाण सागर ने कहा कि यह अच्छी पहल है मालवा प्रांत में जो अधिवेशन हुआ। उसमें जो प्रस्ताव आप लोगों ने दिए उसे हमने नोट कर लिया है। उसे अगले राष्ट्रपति अधिवेशन तक उन प्रस्ताव का न्योचित बातों पर विचार किया जाएगा। सम्मेद शिखर में जो गुणायतन बनने जा रहा है वह तो वहां की कमेटी बना ही लेगी, हमारा तो विचार है कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें बहुत कार्य करना है। हमने केवल आपके लिए नहीं आपके पोते तक इसमें कार्य करना है। नीती कहती है कि किसी भी कार्ययोजना को तभी प्रकट करूंगा जब उसे पूर्ण कर लूंगा। मुझे गुरु कृपा है और में तो निमित्त मात्र हूं आपका प्रेम आपकी श्रद्धा है यह जो भी कुछ है वह गुरुदेव का आशीर्वाद है।