मेरे बिन जब रहा न जाएं, जुदाई मुझसे सहा न जाएं। भूल हमारी तू- तू, मैं-…
Category: काव्य ग़ज़ल
करवाचौथ का चांद
आकर्षित करती महिलाये साजन को, गोल चांद जैसी बिंदी बना माथे पे सजाती।। शुक्र है चांद…
हम किसी के मोहताज नहीं हैं
रखे रहो अपना मंच, माला, माइक रखे रहो अपनी मचान रखे रहो अपना छल ज्ञान रखे…
कविता सदैव ही बची रही..
कविता सदैव ही भयमुक्त रही समय के उतार-चढ़ावों में , कितनीं भी.. कैसी भी.. सभ्यताएं प्रचलन…
शीर्षक- “शहर पराया हैं”
ये कैसी जहरीले हवाओं में अपना घर बनाया हैं, सबकुछ वही मगर क्यों लगता ये शहर…
ख्वाहिशों का निमंत्रण
ख्वाहिशों ने रंगीन सपना दिखाया बहुत है। मुझे इसने बहलाकर आजमाया बहुत है।। फँस ना जाऊँ…