सूना सूना

प्रियतम  क्यूँ  है  सूना  सूना,

इस जगती का हर इक कौना।

हास विलास उल्लास यहाँ है,

फिर भी है कुछ  जादू टोना।।

      प्रियतम क्यूँ है सूना सूना••••

नेह  यहाँ  है  स्नेह  सुधा   सा,

आलिंगन मधु मधुप विला सा।

पिय का प्रिय से आलिंगन भी,

फिर भी कुछ है  खोया खोया।।

         प्रियतम  क्यूँ  है सूना सूना••••

मादक मोहमयी रुत अनंग संग,

मेघ वरिद शीतल जल संग संग।

नदी नीर निश्छल कलकल रव,

फिर  भी कुछ  है सूखा सूखा।।

         प्रियतम क्यूँ  है  सूना सूना••••

दृग पल्लव में हास आस है,

अधर पिपासा प्यास पास है।

प्रिय  संग प्रीत रंगी है दुल्हन,

फिर भी  कुछ है रूठा रूठा।।

                प्रियतम क्यूँ है सूना सूना••••

जीवन घन आनन्द समर्पित,

अखिल विश्व प्रणय समर्पित।

परम प्रीत से विलग जगत है,

तब  ही  है कुछ  रीता  रीता।।

       प्रियतम यही है सूना सूना••••

 डाॅ• निशा पारीक