हे गंगा मैया धीरे बहो       . 

  (सीता जी की माँ गंगा से विनती)  मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार,  हे गंगा मैया धीरे…

निज चंदा की चांदनी मैं 

एक ढलती शाम,आईना को किया साफ  उसने कहा देर से ही सही, आ गई पास| आई…

दिल्ली नहीं देखती

दिल्ली ! देखती नहीं है  उसे कुछ दिखता नहीं शायद! वह देखना भी नहीं चाहती ?…

 रावण अब जीत रहा है —

मुरदे करते राजनीति, जनता सोई तमाम   रावण अब जीत रहा है, हार रहा है राम संसद…

भूख, भय, मृत्यु और ममता

भक्ष्ण नहीं करूंगा मैं तो फिर भूखा मरूंगा -सामने मेरे जो भी आए उससे अपना पेट…

आत्म संवाद……..

आत्म संवाद इक औरत का… क्या मुझमें एक भी ऐसा गुण नहीं कि मैं किसी की…

जिंदगी मिलावट की तरह

बदल रहे है खुद को गिरगिट की तरह मुकर रहे हैं बातों से  करवट की तरह …

विध्वंस से 

हमने देखी महाभारत की गोद में प्यार की एक बूँद    पनपता एक नवयुग शिशु   परीक्षित |…

■ चित्र के गर्भ में….

एक चित्र नुमाइश में था लगाया गया, कुछ ऐसा वाक़या था दिखाया गया। एक वृद्ध अपने…

अलख जगाया करती है,,,,

******************* जिस रचना के शब्द शब्द में,मातृभूमि का वन्दन हो । जिस रचना में भारत माँ…