निजीकरण का शोर चल रहा है। हर तरफ प्राइवेट चीजें खोलने का दौर पल रहा है।…
Category: व्यंग
नहले पे दहला
लालबत्ती वाली गाड़ी में सवार मंत्री जी अपने कुनबे के साथ कहीं झंडा फहराने जा रहे…
‘नये वर्ष की हाॅरर (डरावनी) शुभकामनाएं’
रात भर चैन से सोने के बाद सुबह कुछ भी नहीं बदला। बनिये की दूकान खुली…
‘‘नये वर्ष में पुराने निवेश का हलवा’’
यह पहली बार नहीं है, जब नया वर्ष पहली तारीख को आया हो। आज तक कभी…
‘कलिकाल’ में बिहार का शिक्षातंत्र
आपने महाभारत पढ़ा होगा। न भी पढ़ें होंगे, तो भी जानकारी अवश्य रखते होंगे। जब भीष्म…
जंगल की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट!
— वेलकम बैक टू कहकहा-ए-गब्बर! कार्यक्रम में आपका स्वागत है। एक जोरदार चीत्कार उड़ी है। न्यूज़…
नालों में लोटती किताबें
पढ़े लिखों की बस्ती में किताबें नालें में पड़ी-पड़ी लोट रही थी। पहले लगा हो न…
क्यों रे …. फिर पाप धोने आ गया।
जब पाप का घड़ा दिखाई देने लगता है तो तीरथ याद आता है। तीरथ में बहुत…
जल बिनु मछली, कुर्सी बिन नेता…
बिना कुर्सी का नेता एकदम फर्जी कागज की तरह होता है। समर्थक भी ऐसे जो गुड़…
दुल्हन तैयार हो रही है
सौभाग्यशाली शाम रही, एक ख़ास मित्र की बेटी की शादी में जाना हुआ। पत्नी ने खाना…