आभासी पटल पर इदानीन्तनी बंदर बाँट की तरह पुरस्कार/ सम्मान प्रदान की जा रहे हैं। या…
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छुट्टियां मनाएं, लेकिन सावधानी जारी रहे
(लेखक/समाजसेवी—प्रवीण कक्कड़) क्रिसमस और न्यू ईयर का वक़्त करीब आ रहा है। साल का यह ऐसा…
“अवसाद को अलविदा कहो यार”
उम्र के एक पड़ाव पर बहुत सारी स्त्रियां अकेलापन महसूस करते अवसाद का भोग बन जाती…
क्या केवल नेहरू-गाँधी का ‘परिवारवाद’ ही लोकतंत्र के लिये ख़तरा
देश में जब कभी परिवारवाद या परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा अथवा संरक्षण देने की…
रस्सी तो जल गयी मगर ऐंठन नहीं गयी
स्वतंत्र भारत के इतिहास में चले सबसे बड़े व संयुक्त किसान आंदोलन ने आख़िरकार केंद्र की…
हमारे बच्चे,हमारा बचपन
कभी हम भी बच्चे थे,हमारा भी बचपन था,आज हमारे बच्चे हैं और उनका बचपन है। संसार…
बदलता वक्त
●●●●●●●●● बदलाव प्रकृति का शाश्वत नियम है, जिसके परिणाम सकारात्मक/नकारात्मक होते ही हैं। सदियों सदियों से…