भाषा नौकरशाहों की

■ केवल ज्ञापन लाया है बे! किस बस्ती से धाया है बे?? ■ भूल गया क्या…

वो निशब्द प्रेम..

( 1 ) एक दिन.. समुंदर ने कहा, रेत से – सुनों , मैनें यात्राएं तो…

लौट आएंगे हम-तुम भी..

जैसे लौट आती हैं चिड़ियां दिन भर की उड़ान के बाद थकी-हारी वापस घोंसलों में ,…

मुझे हक सही से जताना भी नहीं आता..

कहूं कैसे , बताओ तो.. मुझे तो सही से बताना भी नहीं आता !! जी भरके…

मुखौटे

जाहिलों ने पहन रखा  है फाजिलों के मुखौटे क़ातिल डाले हैं सफेदपोश साथियों के मुखौटे लकीरें…

■ ऐसे ही होते हैं शायद…?

■ ताबूत उठाते सैनिक। ■ सवाल उठाते विपक्षी। ■ पुष्पचक्र चढ़ाते अफ़सर। ■ शस्त्र उलटती टुकड़ी।…

सुनों स्त्री..

सुनों स्त्री..सुनों , कब खोलोगी तुम  सांकल अपने भीतर की , माना.. बहुत सलीके से सजाया…

सुना है आज खबरें बिकी है……

सुना है आज खबरें बिकी है।  बेटी की अस्मिता जो बचाए  वो आँचल बिकी है।               सुना…

स्त्री का जीवन

स्त्री का जीवन, आसान कहाँ, होता है  , जीवन में, कई बार , अंगारों से, गुजरना…

मैनें रोशनी सा झिलमिलाने की बात की..

जब-जब भी दिखा गाढ़ा अंधेरा कहीं मैनें रोशनी सा झिलमिलाने बात की !! यहां, जब भी…