■ केवल ज्ञापन लाया है बे! किस बस्ती से धाया है बे?? ■ भूल गया क्या…
Category: काव्य ग़ज़ल
मुझे हक सही से जताना भी नहीं आता..
कहूं कैसे , बताओ तो.. मुझे तो सही से बताना भी नहीं आता !! जी भरके…
■ ऐसे ही होते हैं शायद…?
■ ताबूत उठाते सैनिक। ■ सवाल उठाते विपक्षी। ■ पुष्पचक्र चढ़ाते अफ़सर। ■ शस्त्र उलटती टुकड़ी।…
मैनें रोशनी सा झिलमिलाने की बात की..
जब-जब भी दिखा गाढ़ा अंधेरा कहीं मैनें रोशनी सा झिलमिलाने बात की !! यहां, जब भी…