सपने हैं, सपनों का क्या…
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त, मो. नं. 73 8657 8657 हम सब दोस्त मिलकर इधर-उधर की…
शैतानों से हारी मैं
औरत की चीख दब गई है,चारदीवारी में। उम्र गुजार दी उसने,सिर्फ खातिरदारी में। जख्म बदन के,नहीं…
*हाँ मैं रावण हूँ*
बीस भुजा दस शीश इष्ट त्रिपुरारी वायु देव करें चाकरी कुबेर आज्ञाकारी अग्निदेव आज्ञा के भूखे…