ओ नए साल के वसंत ! बढ़ कर मेरा हाथ थाम ले मैं गुज़रे साल का…
Category: काव्य ग़ज़ल
क्या सब कुछ बदल जायेगा?
अपने गर्भ में तारीख महीनों को पाल रहा कैलेण्डर जनेगा एक और नया साल जिसकी रेखा…
मोदी जी की गारण्टी
बेरोजगार, भूखा, बीमार मज़दूर-किसान सब हैं लाचार शिक्षित और अशिक्षित सारे युवाओं के हाथों में घण्टी…
चौराहे पर जीवन देखा
चौराहे पर जीवन देखा, घुटता-सा हर तन-मन देखा, उन आँखों में जो सपने थे, उनको मरते…