अपने गर्भ में तारीख महीनों को पाल रहा कैलेण्डर जनेगा एक और नया साल जिसकी रेखा…
Category: काव्य ग़ज़ल
मोदी जी की गारण्टी
बेरोजगार, भूखा, बीमार मज़दूर-किसान सब हैं लाचार शिक्षित और अशिक्षित सारे युवाओं के हाथों में घण्टी…
चौराहे पर जीवन देखा
चौराहे पर जीवन देखा, घुटता-सा हर तन-मन देखा, उन आँखों में जो सपने थे, उनको मरते…
शहरों की नीयत ठीक नहीं,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों के बीच, नन्हें-नन्हें पैरों के निशान, तोतली बोली में झूमती हवाएं, लहरा लहरा कर…
बनवाँ में बड़ा दुख होई .
(राम द्वारा सीता को समझना) बनवाँ में बड़ा दुख होई, सिया मोर घरहीं में रहिजा हो…