वक़्त-वक़्त की बात है..
पुरजोर क़ोशिश से यकीनन अनदेखा खुदा भी मिल सकता है, मगर खामियां खुद की कभी नजर…
“तुम रक्षक कांहुँ को डरना”
“तुम रक्षक कांहुँ को डरना” ये पंक्तियां मस्तिष्क में बैठा के रखें, की किसी से कोई…
“तुम रक्षक कांहुँ को डरना” ये पंक्तियां मस्तिष्क में बैठा के रखें, की किसी से कोई…